जब मैने इस श्रृंखला का पहला लेख लिखा (जिसे पसंद भी
किया गया), तो अगले लेख के लिये मुझे थोड़ी माथा-पच्ची करनी पड़ी। कितनी ही बार
घुटनों को खुजलाने के बाद एक लेख तैयार किया.... “अनुवाद
एजेंसी से संपर्क करना... ” लेकिन उसको लिखने के बाद मुझे बार-बार ऐसा लग रहा था कि कुछ ऐसा है जो बीच
में छूट रहा है। इसी कारण उसको ब्लॉग पर चस्पा करने के पहले मैने सोचा कि पहले उस “मिसिंग” की तलाश की जाए...कई थानों के चक्कर लगाए,
रिपोर्ट लिखायी लेकिन नतीजा ‘सिफर’...फिर मैने अपने निजी संसाधनों जैसे दिमाग़
आदि का प्रयोग किया तो अचानक मेरी ट्यूब लाइट जल पड़ी और...यह विषय मिल गया तो आप
सब के सामने पेश है.... “अनुवादक के पेशे की शुरुआत करने के लिये कुछ सुनहरे
सुझाव…” पढ़िये और बताइये कि कितना उपयोगी है।
किसी अन्य पेशे की तरह,
अनुवादक बनने के लिये अभ्यास, अनुभव और उपयुक्त प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
अगर आप अनुवादकों से यह पूछेंगे(गी) कि वे इस पेशे कैसे आये तो अलग-अलग कहानियाँ
सुनने को मिलेंगी, यानी जितने मुँह उतनी बातें। आप पूछेंगे(गी) ऐसा क्यों तो ऐसा
इसलिये, क्योंकि इसको करने का कोई एक मानक तरीका नहीं है, हाँ कुछ ऐसे चरण हैं जो
आपको सही दिशा की ओर ले जायेंगे तो ऐसे कुछ चरणों के उदाहरणों पर नज़र डालिये:
चूंकि आप इस बात से भली भाँति परिचित है कि आपका आत्म-परिचय त्रुटि-हीन
होना चाहिये इसलिये मैं आपको यह कह कर पकाउंगा नहीं कि आपका आत्म परिचय त्रुटि- हीन होना चाहिये। मैं यह अवश्य कहूँगा कि अनुवादक का आत्म-परिचय किसी भी प्रकार की
भाषाई त्रुटि से पूर्णतः मुक्त होना चाहिये साथ ही यह आत्म परिचय उस तरह का नहीं
होना चाहिये जैसा कि आप दूसरे अन्य पेशों में नियुक्ति के लिये उपयोग करते(ती) रहे(ही)हैं।
यदि आप यह जानने की इच्छा रखते(ती) हैं कि आपने आत्म परिचय को कैसे बनायें
तो आप http://www.proz.com और
http://www.translatorscafe.com जैसी साइट पर जा कर अनेकों सक्रिय अनुभवी अनुवादकों द्वारा उपयोग किये गये
आत्म-परिचयों को देख कर बहुत कुछ सीख
सकते(ती) हैं, यह बिल्कुल मुफ्त उपाय है। गूगल पर खोज करने से आपको बहुत सी ऐसी
कड़ियाँ मिल जायेंगी जो आपको आपके आत्म- परिचय का निर्माण करने के लिये सहायक
सेवायें प्रदान करने वालों तक आपको ले जायेंगी। इनमें से कुछ मुफ्त होंगे, कुछ
भुगतान पर सेवा प्रदान करने वाले होंगे।
अपने आत्म परिचय को भेजने के लिये
इंटरनेट पर अनुवाद एजेंसियों की खोज करिये। बहुत से ऐसे समूह, ब्लॉग, वेबसाइट मिल
जाएंगी जो इस मामले में आपकी भरपूर सहायता कर सकती हैं।
अनुवाद
एसोसिएशनो के मुफ्त ऑनलाइन डेटाबेस में पंजीकरण करिये, ऑनलाइन जॉब-खोज साइटें जैसे
Linkedin आदि पर अपना पंजीकरण करिये अपना प्रोफाइल पोस्ट
करिये।
आप
विभिन्न देशों के वाणिज्य दूतावासों, दूतावासों और वाणिज्य परिसंघों के साथ
पंजीकरण कर सकते(ती) हैं।
यदि
नौकरी करना चाहें तो प्लेसमेंट सेवाओं के साथ पंजीकरण करिये।
हलांकि
तथ्य यह है कि अनुवाद को एक एकान्त पेशे के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जो कि
अक्सर सही भी होता है। सफल अनुवादक न केवल एक से अधिक भाषाओं का(की) विशेषज्ञ
होता(ती) है बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक सीमाओं से परे एक निपुण व्यक्तित्व होता(ती) है। अनुवादकों को भाषा से लगाव होता है, लेकिन साथ ही वे लोगों से लगाव रखते(ती) हैं और जानते(ती) हैं कि किस प्रकार से सहयोग करें दिशानिर्देश लें, काम उपलब्ध
कराने वालों और नियोक्ताओं को कैसे खुश
रखें। लिखते-लिखते कुछ ऐसा लग रहा है कि जैसे हम बहुमुखी होते हैं, हलांकि अभी ऊपर
ही मैने कहा कि “अनुवाद एक
एकान्त पेशा है”।
लेकिन इसका अर्थ हिमालय की गोद में तप करना कतई नहीं है, बल्कि मैं तो कहूँगा कि
ऐसा सोचना भी गलत है। ध्यान रहे कि अगर आप स्वतंत्र अनुवादक हैं तो पीर, भिश्ती,
बावर्ची...सब कुछ बस आप ही हैं(या अगर कोई और भूमिका बचती हो तो उसे भी इसमें जोड़
लें)।
विशेषज्ञता का अर्थ विषय विशेष की शब्दावली से मात्र परिचित होना नहीं है,
अपनी
सीमाओं और विस्तार को जानिये। जो लोग अपनी ताकत और कमजोरियों को नहीं
जानते हैं वे कतई आगे नहीं बढ़ सकते हैं। आपको अपने अवसरों और जोखिमों की पहचान
करना भी आना चाहिये। यकीन जानिये अगर आप किसी विषय विशेष को लेकर असहज हैं या आपको
लगता है कि आपका ज्ञान सीमित है तो काम को स्वीकार करने से इंकार करना (कारण बता
कर), काम देने वाले के ऊपर, आपके बारे एक सकारात्मक प्रभाव ही छोड़ेगा (यह मेरा
निजी अनुभव है)। घटिया काम करने से अच्छा काम न करना और अपनी साख को बनाये रखना।
क्योंकि अगर अल्प-ज्ञान विषय पर काम करके आपने काम की ऐसी-तैसी कर दी है तो आपको
आपकी विशेषज्ञता वाले काम भी मिलने बंद हो जाएंगे। आपका इंकार, सामने वाले को यह बताएगा कि आप अपने
क्षेत्र और सीमाओं को लेकर पूरी तरह से स्पष्ट हैं। अपने पेशे में(या किसी भी पेशे
में) सबसे पहली ईमानदारी अपने आप से रखना जरूरी है। अपनी सीमाओं को पहचानने से दूसरों का आप पर विश्वास
बढ़ना तय बात है।
अपने
आँख और कान खुले रखिये :
एक बार किसी एजेंसी द्वारा काम के लिये चुने जाने के बाद, समझदारी यह है कि
आप दूसरी अनुवाद एजेंसियां तलाशते(ती) रहें क्योंकि यह कतई ज़रूरी नहीं है कि किसी
अनुवाद एजेंसी के पास आपकी विशेषज्ञता के काम हमेशा आते रहेंगे। एक ही एजेंसी के
साथ काम करने से कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जैसे आप एक पर ही निर्भर हो
जाएंगे(गी), आपके काम में विविधता समाप्त हो जायेगी आदि। एजेंसी को आपसे सस्ता(ती) अनुवादक मिलते ही आपका बोलो-राम हो जाएगा। वहीं अगर आप अन्य दूसरी एजेंसियों से काम करते(ती) रहेंगे(गी) तो आपके काम में विविधता आयेगी और आपकी एक पर निर्भरता घट जायेगी। इससे सबसे बड़ा
लाभ यह होगा कि आप समय-समय पर अपनी दरों में सुधार भी सहजता से कर पायेंगे(गी)।
आखिर पैसा अगर खुदा नहीं तो खुदा से कम भी नहीं है। एक से अधिक एजिंयों के साथ काम करने से एक ऐसी
स्थिति भी बन सकती है जब आपके पास तीनों से एक साथ छप्पर फाड़ टाइप काम आ जाये,
लेकिन यहाँ पर आपकी वाकपटुता और संबंधों का प्रबंधन करने की क्षमता का परीक्षण
होगा। आप सभी कामों को नहीं कर सकते(ती) हैं...तो किसी को तो न करना ही होगा। आपको
देखना होगा कि इस स्थिति से कैसे निबटा जाये, अर्थात सांप भी मर जाये और लाठी भी
सलामत रहे। यहाँ पर कई बार युधिष्ठिर का अर्धसत्य स्टाइल काम कर सकता है (यह सुझाव
मात्र है)। कुछ भी हो, ऐसी स्थिति से निबटना आपको ही है और वो भी अपनी इश्टाइल से।
अपने
काम को पूरा करके देते समय, एजेंसी या क्लाइंट को विश्वास दिलाना मत भूलिये कि इस
काम संबंधित किसी भी स्पष्टीकरण के लिए आप हमेशा उपलब्ध हैं। काम सौपिये और काम के
पारिश्रमिक से संबंधित बिल को भेज दीजिये। आपके बिल में क्लाइंट के लिये जरूरी
सारी जानकारी होनी चाहिये, जैसे काम के PO का उल्लेख (अगर है तो), काम मिलने और सुपुर्दगी की तारीख, काम (फाइल) का
नाम, प्रोजेक्ट सौपने वाले मैनेजर (एजेंसी के मामले में) का नाम, आपकी दर तथा कुल
देय, आपके बैंक व पेपाल, मनीबुकर आदि के संपूर्ण विवरण। कई बार एजेंसियाँ काम और
बिलिंग के लिए अलग-अलग ई-मेल रखती हैं, उनका ध्यान रखिये।
यकीन जानिये अगर आप ऊपर दिये गये सुझावों पर अमल
करेंगे(गी) तो आपको लाभ ही होगा। हलांकि हममें से अधिकांश यह सोचते हैं कि ये सारी
बाते हम तो हमको पहले से पता है, तो मेरा अंतिम सवाल उन सबसे हैं (जो ये सब जानते
हैं)... “थोड़ा सोचिये और खुद को बताइये कि इनमें से कितनी
बातों का ध्यान हम रखते है?” किसी को बताने की जरूरत नहीं है, लेकिन आत्मचिंतन करने के परिणाम बेहतर ही
होते हैं। नये अनुवादकों के लिये इन बातों की आदत डालना तुलनात्मक रूप से आसान
होगा और इसका उनको लाभ भी मिलेगा, ऐसी आशा और शुभेच्छा के साथ.....अगले लेख तक
विदा!
और अंत में, त्रुटियों के लिये क्षमा करें........
उन सभी के लिए उपयुक्त परामर्श, जो इस व्यवसाय में सफल होने का प्रयास कर रहे हैं।धन्यवाद। यह सदैव मेरा मार्गदर्शन करता है।
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