रविवार, 12 मई 2013

अनुवादक के पेशे की शुरुआत....


अनुवादक के पेशे की शुरुआत करने के लिये कुछ सुनहरे सुझाव...


जब मैने इस श्रृंखला का पहला लेख लिखा (जिसे पसंद भी किया गया), तो अगले लेख के लिये मुझे थोड़ी माथा-पच्ची करनी पड़ी। कितनी ही बार घुटनों को खुजलाने के बाद एक लेख तैयार किया.... अनुवाद एजेंसी से संपर्क करना... लेकिन उसको लिखने के बाद मुझे बार-बार ऐसा लग रहा था कि कुछ ऐसा है जो बीच में छूट रहा है। इसी कारण उसको ब्लॉग पर चस्पा करने के पहले मैने सोचा कि पहले उस मिसिंग की तलाश की जाए...कई थानों के चक्कर लगाए, रिपोर्ट लिखायी लेकिन नतीजा सिफर...फिर मैने अपने निजी संसाधनों जैसे दिमाग़ आदि का प्रयोग किया तो अचानक मेरी ट्यूब लाइट जल पड़ी और...यह विषय मिल गया तो आप सब के सामने पेश है.... अनुवादक के पेशे की शुरुआत करने के लिये कुछ सुनहरे सुझाव पढ़िये और बताइये कि कितना उपयोगी है।

किसी अन्य पेशे की तरह, अनुवादक बनने के लिये अभ्यास, अनुभव और उपयुक्त प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। अगर आप अनुवादकों से यह पूछेंगे(गी) कि वे इस पेशे कैसे आये तो अलग-अलग कहानियाँ सुनने को मिलेंगी, यानी जितने मुँह उतनी बातें। आप पूछेंगे(गी) ऐसा क्यों तो ऐसा इसलिये, क्योंकि इसको करने का कोई एक मानक तरीका नहीं है, हाँ कुछ ऐसे चरण हैं जो आपको सही दिशा की ओर ले जायेंगे तो ऐसे कुछ चरणों के उदाहरणों पर नज़र डालिये:

सबसे पहले त्रुटि-हीन अनुवाद आत्म-परिचय लिखिये:

चूंकि आप इस बात से भली भाँति परिचित है कि आपका आत्म-परिचय त्रुटि-हीन होना चाहिये इसलिये मैं आपको यह कह कर पकाउंगा नहीं कि आपका आत्म परिचय त्रुटि- हीन होना चाहिये। मैं यह अवश्य कहूँगा कि अनुवादक का आत्म-परिचय किसी भी प्रकार की भाषाई त्रुटि से पूर्णतः मुक्त होना चाहिये साथ ही यह आत्म परिचय उस तरह का नहीं होना चाहिये जैसा कि आप दूसरे अन्य पेशों में नियुक्ति के लिये उपयोग करते(ती) रहे(ही)हैं।

यदि आप यह जानने की इच्छा रखते(ती) हैं कि आपने आत्म परिचय को कैसे बनायें तो आप http://www.proz.com और  http://www.translatorscafe.com जैसी साइट पर जा कर अनेकों सक्रिय अनुभवी अनुवादकों द्वारा उपयोग किये गये आत्म-परिचयों को देख कर बहुत कुछ सीख सकते(ती) हैं, यह बिल्कुल मुफ्त उपाय है। गूगल पर खोज करने से आपको बहुत सी ऐसी कड़ियाँ मिल जायेंगी जो आपको आपके आत्म- परिचय का निर्माण करने के लिये सहायक सेवायें प्रदान करने वालों तक आपको ले जायेंगी। इनमें से कुछ मुफ्त होंगे, कुछ भुगतान पर सेवा प्रदान करने वाले होंगे।

अपनी सेवाओं के विपणन पर ध्यान
केन्द्रित करिये:



अपने आत्म परिचय को भेजने के लिये इंटरनेट पर अनुवाद एजेंसियों की खोज करिये। बहुत से ऐसे समूह, ब्लॉग, वेबसाइट मिल जाएंगी जो इस मामले में आपकी भरपूर सहायता कर सकती हैं।
   अनुवाद एसोसिएशनो के मुफ्त ऑनलाइन डेटाबेस में पंजीकरण करिये, ऑनलाइन जॉब-खोज साइटें जैसे Linkedin आदि पर अपना पंजीकरण करिये अपना प्रोफाइल पोस्ट करिये।
     आप विभिन्न देशों के वाणिज्य दूतावासों, दूतावासों और वाणिज्य परिसंघों के साथ पंजीकरण कर सकते(ती) हैं।
       यदि नौकरी करना चाहें तो प्लेसमेंट सेवाओं के साथ पंजीकरण करिये।

थोड़ा लोकप्रिय बनने का प्रयास करें:

हलांकि तथ्य यह है कि अनुवाद को एक एकान्त पेशे के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जो कि अक्सर सही भी होता है। सफल अनुवादक न केवल एक से अधिक भाषाओं का(की) विशेषज्ञ होता(ती) है बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक सीमाओं से परे एक निपुण व्यक्तित्व होता(ती) है। अनुवादकों को भाषा से लगाव होता है, लेकिन साथ ही वे लोगों से लगाव रखते(ती) हैं और जानते(ती) हैं कि किस प्रकार से सहयोग करें दिशानिर्देश लें, काम उपलब्ध कराने वालों और नियोक्ताओं को कैसे खुश रखें। लिखते-लिखते कुछ ऐसा लग रहा है कि जैसे हम बहुमुखी होते हैं, हलांकि अभी ऊपर ही मैने कहा कि अनुवाद एक एकान्त पेशा है। लेकिन इसका अर्थ हिमालय की गोद में तप करना कतई नहीं है, बल्कि मैं तो कहूँगा कि ऐसा सोचना भी गलत है। ध्यान रहे कि अगर आप स्वतंत्र अनुवादक हैं तो पीर, भिश्ती, बावर्ची...सब कुछ बस आप ही हैं(या अगर कोई और भूमिका बचती हो तो उसे भी इसमें जोड़ लें)।

अपनी विशेषज्ञता से परे किसी भी काम को स्वीकार न करें:


विशेषज्ञता का अर्थ विषय विशेष की शब्दावली से मात्र परिचित होना नहीं है, अपनी  सीमाओं और विस्तार को जानिये। जो लोग अपनी ताकत और कमजोरियों को नहीं जानते हैं वे कतई आगे नहीं बढ़ सकते हैं। आपको अपने अवसरों और जोखिमों की पहचान करना भी आना चाहिये। यकीन जानिये अगर आप किसी विषय विशेष को लेकर असहज हैं या आपको लगता है कि आपका ज्ञान सीमित है तो काम को स्वीकार करने से इंकार करना (कारण बता कर), काम देने वाले के ऊपर, आपके बारे एक सकारात्मक प्रभाव ही छोड़ेगा (यह मेरा निजी अनुभव है)। घटिया काम करने से अच्छा काम न करना और अपनी साख को बनाये रखना। क्योंकि अगर अल्प-ज्ञान विषय पर काम करके आपने काम की ऐसी-तैसी कर दी है तो आपको आपकी विशेषज्ञता वाले काम भी मिलने बंद हो जाएंगे। आपका इंकार, सामने वाले को यह बताएगा कि आप अपने क्षेत्र और सीमाओं को लेकर पूरी तरह से स्पष्ट हैं। अपने पेशे में(या किसी भी पेशे में) सबसे पहली ईमानदारी अपने आप से रखना जरूरी है। अपनी सीमाओं को पहचानने से दूसरों का आप पर विश्वास बढ़ना तय बात है।

अपने आँख और कान खुले रखिये:

एक बार किसी एजेंसी द्वारा काम के लिये चुने जाने के बाद, समझदारी यह है कि आप दूसरी अनुवाद एजेंसियां तलाशते(ती) रहें क्योंकि यह कतई ज़रूरी नहीं है कि किसी अनुवाद एजेंसी के पास आपकी विशेषज्ञता के काम हमेशा आते रहेंगे। एक ही एजेंसी के साथ काम करने से कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जैसे आप एक पर ही निर्भर हो जाएंगे(गी), आपके काम में विविधता समाप्त हो जायेगी आदि। एजेंसी को आपसे सस्ता(ती) अनुवादक मिलते ही आपका बोलो-राम हो जाएगा। वहीं अगर आप अन्य दूसरी एजेंसियों से काम करते(ती) रहेंगे(गी) तो आपके काम में विविधता आयेगी और आपकी एक पर निर्भरता घट जायेगी। इससे सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि आप समय-समय पर अपनी दरों में सुधार भी सहजता से कर पायेंगे(गी)। आखिर पैसा अगर खुदा नहीं तो खुदा से कम भी नहीं है। एक से अधिक एजिंयों के साथ काम करने से एक ऐसी स्थिति भी बन सकती है जब आपके पास तीनों से एक साथ छप्पर फाड़ टाइप काम आ जाये, लेकिन यहाँ पर आपकी वाकपटुता और संबंधों का प्रबंधन करने की क्षमता का परीक्षण होगा। आप सभी कामों को नहीं कर सकते(ती) हैं...तो किसी को तो न करना ही होगा। आपको देखना होगा कि इस स्थिति से कैसे निबटा जाये, अर्थात सांप भी मर जाये और लाठी भी सलामत रहे। यहाँ पर कई बार युधिष्ठिर का अर्धसत्य स्टाइल काम कर सकता है (यह सुझाव मात्र है)। कुछ भी हो, ऐसी स्थिति से निबटना आपको ही है और वो भी अपनी इश्टाइल से।   

थोड़ा व्यवस्थित हो जाइये:


अपने काम को पूरा करके देते समय, एजेंसी या क्लाइंट को विश्वास दिलाना मत भूलिये कि इस काम संबंधित किसी भी स्पष्टीकरण के लिए आप हमेशा उपलब्ध हैं। काम सौपिये और काम के पारिश्रमिक से संबंधित बिल को भेज दीजिये। आपके बिल में क्लाइंट के लिये जरूरी सारी जानकारी होनी चाहिये, जैसे काम के PO का उल्लेख (अगर है तो), काम मिलने और सुपुर्दगी की तारीख, काम (फाइल) का नाम, प्रोजेक्ट सौपने वाले मैनेजर (एजेंसी के मामले में) का नाम, आपकी दर तथा कुल देय, आपके बैंक व पेपाल, मनीबुकर आदि के संपूर्ण विवरण। कई बार एजेंसियाँ काम और बिलिंग के लिए अलग-अलग ई-मेल रखती हैं, उनका ध्यान रखिये।
यकीन जानिये अगर आप ऊपर दिये गये सुझावों पर अमल करेंगे(गी) तो आपको लाभ ही होगा। हलांकि हममें से अधिकांश यह सोचते हैं कि ये सारी बाते हम तो हमको पहले से पता है, तो मेरा अंतिम सवाल उन सबसे हैं (जो ये सब जानते हैं)...  “थोड़ा सोचिये और खुद को बताइये कि इनमें से कितनी बातों का ध्यान हम रखते है?” किसी को बताने की जरूरत नहीं है, लेकिन आत्मचिंतन करने के परिणाम बेहतर ही होते हैं। नये अनुवादकों के लिये इन बातों की आदत डालना तुलनात्मक रूप से आसान होगा और इसका उनको लाभ भी मिलेगा, ऐसी आशा और शुभेच्छा के साथ.....अगले लेख तक विदा!

और अंत में, त्रुटियों के लिये क्षमा करें........



रविवार, 31 मार्च 2013

फ्रीलांसिंग से जुड़ीं कुछ महत्वपूर्ण बातें....


                                  
फ्रीलांसिंग से जुड़ीं कुछ महत्वपूर्ण बातें जिनको जानना हमारे लिये बेहद जरूरी है.....
                   

फ्रीलांसर होने का विचार बहुत से लोगों को आकर्षित करता है। जब आप अपने आसपास के लोगों को अपने इस पेशे के बारे में बताते(ती) हैं तो उनको एक ऐसा दृश्य दिखता है जिसमें आपके आसपास धन की नदी प्रवाहित हो रही होती है और आप अपने आरामदायक कपड़ों में ढ़ेर सारे ग्राहकों से घिरे(री) बैठे(ठी) दिखते(ती) हैं।
यह सही है कि फ्रीलांसर होने के अपने फायदे हैं। आप अपने काम के घंटे खुद निर्धारित कर सकते(ती) हैं, अपने घर से काम कर सकते(ती) हैं और अपनी रचनात्मकता के घोड़े दौड़ा सकते(ती) हैं।
लेकिन आपको तो फ्रीलांस करने के इन फायदों के बारे में पहले से ही जानकारी थी। यही तो वो कारण था जिसने आपको फ्रीलांसिंग में कूदने के लिये प्रेरित किया था।
और कमियों का क्या? क्या आपको उनकी जानकारी है?
मित्रों, अपने आपको कैरियर के इन झटकों से बचाइये और इससे पहले कि बहुत देर हो जाये इसे पढ़िये…….

1.    पहला महीना बेहद दर्दभरी यंत्रणा वाला होगा-
एक दिन सुबह आप सोकर उठते(ती) हैं और अचानक आपको भान होता है कि आपने अपनी नौकरी छोड़ दी है। आप यह सोच कर भय से भर जाते(ती) हैं कि क्या आप कमा पायेगें(गीं)?
आपको बड़ा असहज सा लगता है क्योंकि आपने अभी तक अपने काम करने के तरीके को कोई आकार नहीं दिया है। ये भी संभव है कि आप अपने काम छोड़ने के निर्णय को लानत मलामत भेजने लगें।
क्या करें :  
पहले मन को शांत करिये और एक कागज और कलम उठा लीजिये ताकि आप एक संभावित कार्यसूची बना सकें। निम्नलिखित चीज़ों के लिये निश्चित समय निर्धारित करिये:
Ø अपने ब्रांड/काम के बारे में चिंतन करने के लिये
Ø अपनी कंपनी/कौशल से संबंधित सामग्री का निर्माण कररने के लिये (वेबसाइट, अनुबंध और बिज़नेस कार्ड आदि)
Ø अपनी सेवाओं के विपणन (मार्केटिंग) के लिये
Ø कार्य संबंधी सभी औपचारिक व अनौपचारिक मामलों का व्यावहारिक विवरण तैयार करने के लिये
यह संभव है कि आप कभी-कभार इस कार्य-सूची को भूल जायें या सब गड्डमड्ड कर दें, लेकिन अपने जीवन में संगठित होने के लिये उठाये गये छोटे-छोटे कदम आपकी मानसिक शांति के लिये चमत्कार जैसे साबित हो सकते हैं।
2. जिस तरह से अच्छे ग्राहक मौजूद हैं ठीक उसी तरह बुरे भी और वे आपको इस्तेमाल करने का प्रयास भी करेंगे-
फ्रीलांसिग कोई आसान काम नहीं है और इसमें जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है, बुरे ग्राहक इसको और कठिन बना देते हैं। ये बुरे ग्राहक जानबूझ कर आपका लाभ उठाना चाहेंगे।
ऐसे ग्राहक हैं जो:
Ø पहले तो आपको अच्छा पारिश्रमिक देने का प्रस्ताव देंगे और परियोजना (प्रोजेक्ट) पूरा करने के बाद जब आप उसे उनको सौंप देंगे तो वो ऐसे गायब हो जायेंगे जैसे कि गधे के सिर से सींग।
Ø आपसे, पहले से सहमत परियोजना (प्रोजेक्ट) विवरण से बाहर जाकर काम करने की मांग करेंगे।
Ø आपसे अपने पारिश्रमिक की दर कम करने को कहेंगे।
Ø बिना भुगतान करे, किये गये काम को आपसे तीन-तीन बार संशोधित करने के लिये कहेंगे।
क्या करें :  
इसमें तीन कारक शामिल हैं, इसलिये....
Ø अपने ग्राहकों से वास्तविक संपर्क साधने में कुछ समय लगाइये। उनके साथ पेशेवर तरीके से संबंध बनाइये। जब उनकी जरूरत हो तो कुशल सुझाव दीजिये। उनको संदेश देते रहिये और उनकी परियोजना (प्रोजेक्ट) की प्रगति के बारे में सूचित करते रहिये।
Ø अपने और अपने ग्राहक के बीच एक अच्छे कानूनी अनुबंध के निर्माण में कुछ निवेश करिये। आपसी समझौते के अनुसार हर एक अनुबंध का अनुकूलन करिये। ध्यान रखिये कि इस अनुबंध की भाषा सरल और सहज हो जिससे कि आपका ग्राहक उसकी मूल भावना को समझ सके।
Ø इस अनुबंध में बिल करने और उसका भुगतान करने के लिये भी शर्तें शामिल करिये। खूब सारी मेहनत करके, पसीना बहाकर परियोजना (प्रोजेक्ट) को पूरा करने के बाद भुगतान की उम्मीद के उत्तर में ग्राहक से यह सुनना आपको बुरा लग सकता है कि भुगतान की तो कोई बात अनुबंध में थी ही नहीं...

Ø देर से भुगतान करने और असीमित मांग करने वाले कुख्यात ग्राहकों से  करना सीखिये।
   बेहतर यह होगा कि आप उस और कौशल को किसी और ग्राहक पर खर्च करें। 


3.   अगर दावत उड़ा रहे(ही) हैं तो फाँके भी पड़ेंगे। ऐसा कभी भी हो सकता है।
एक दिन आपके पास परियोजनाओं (प्रोजेक्ट) की इतनी भीड़ होगी कि आपके लिये खाने-पीने का समय निकालना भी कठिन हो जायेगा और ठीक अगले दिन आपके पास एक भी परियोजना (प्रोजेक्ट) न होगी। फ्रीलांसर की दुनिया अनिश्चितताओं से भरी है। दावत और फाँका कभी भी हो सकता है। कहा भी जाता है कि ग्राहक और मौत का कोई भरोसा नहीं है।  
क्या करें : 
बस यहीं पर अनुशासन सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। अगर आपको लगता है कि फ्रीलांसर होने का अर्थ केवल रचनात्मक काम करना और इस बात इंतज़ार करना है कि ग्राहक आप तक पहुंचे तो एक बार फिर से सोचिये...
फ्रीलांसर मूलतः उद्यमशील होते हैं। हम अपनी खुद की कंपनी चलाते हैं।
Ø  अपनी दैनिक कार्यसूची में विपणन (मार्केटिंग) और नेटवर्किंग के लिये समय निर्धारित करिये। सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से अपने ग्राहकों (या संभावित ग्राहकों) से जुड़िये, उनके साथ उनके कामकाज की चर्चा करिये और पेशेवर तरीके से मित्रवत रहिये (उनके समय और मूल शिष्टाचार का ध्यान रखते हुये)। तीन या पाँच लोगों के साथ शुरुआत करिये।
Ø  आप बस शुरु कर रहे(ही) हैं, उन साइटों पर जाकर बोली (बिडिंग) लगाइये, जिससे कि आपके पास कुछ ऐसी परियोजनायें (प्रोजेक्ट) हों जिनको आप अपने आत्म-परिचय (पोर्टफोलियो) में दर्शा सकें। कम से कम तीन परियोजनाओं (प्रोजेक्ट) पर रोज़ बोली (बिडिंग) लगाने का नियम बनाइये; और हाँ यह सब करते हुये, ध्यान रखिये कि खराब ग्राहकों से दूरी बनी रहे।
Ø  जब भी आपको आमदनी हो तो उसका दस प्रतिशत अपनी आकस्मिक निधि (इमरजेंसी फंड) के रूप में अलग रखिये, यह निधि फाँके के समय काम आयेगी। ऐसी आदत कतई मत डालिये कि आपके सामने जो भी परियोजना प्रस्ताव आये आप उसे स्वीकार करते(ती) जायें जिससे कि आप अपने खर्च पूरे करते(ती) रहें। ऐसा किया और आप खराब ग्राहकों के चंगुल में फंसे(सी)।


4.  अपने घर के दफ़्तर में हर रोज़, पूरे समय बैठे रहना आपको उबा देगा, अकेलेपन का  एहसास देगा और साथ ही बीमार भी कर देगा-

                                           

शुरु के कुछ महीनों में आपको फ्रीलांसिंग से प्रेम हो जायेगा। आपको देर से सोकर उठना, इत्मीनान के साथ नाश्ता करना और अपने आरामदायक कपड़ों में टहलना अच्छा लगेगा। आपको अपना वह काम करने में मज़ा आयेगा, जिससे आप प्रेम करते(ती) हैं और उन ग्राहकों से बात करने में आनंद आयेगा, जिनको आप पसंद करते(ती) हैं।
आप खुद को उड़ान भरती चिड़िया जैसा समझेंगे(गी)।
लेकिन अंततः एक खराब दोस्ती की तरह आपको एक पिंजरे में बंद चिड़िया जैसा एहसास होगा। ऐसा तब होगा जब आप फ्रीलांसिंग नाम के उड़नखटोले पर सावधानी के साथ सवारी नहीं करेंगे(गी)।
क्या करें :
Ø  अपने ऑफिस को विविधता प्रदान करिये। फ्रीलांसर होने का अर्थ है कि आपका अपना ऑफिस, चलता-फिरता भी हो सकता है। आप अपना लैपटॉप लेकर कहीं भी जा सकते(ती) हैं और कहीं से भी काम कर सकते(ती) हैं। आपको घर पर जमे रहने की कतई ज़रूरत नहीं है। जहाँ मर्जी हो वहाँ बैठ कर काम करिये...शांत कॉफी या चाय शॉप (अगर मिले) में बैठिये और कॉफी/चाय की चुस्कियों के साथ काम का आनंद लीजिये या फिर लाइब्रेरी और हरे भरे शांत पार्क में बैठ कर काम करिये।
Ø  घर से बाहर निकल कर थोड़ा मेलजोल बढ़ाइये। फ्रीलांसर के लिये यह महत्वपूर्ण है कि वह काम और मौज-मस्ती के बीच संतुलन कायम करे। इसका यह कतई मतलब नही है कि काम को गंभीरता से न लें...बात तो बस एक दिल खुश कर देने वाले संयोजन की है।
Ø  व्यायाम... इस शब्द के साथ आपके दिमाग़ में क्या दृश्य उभरा? आपको जिम के सपने आने लगे...लेकिन ऐसा कुछ नहीं है...पहले फ्रीलांसिंग करके कुछ अतिरिक्त कमाने लायक बनिये फिर खर्चे बढ़ाइये। एक काम सभी बखूबी कर सकते हैं और वो है...हल्का फुल्का नृत्य या जॉगिंग या फिर योग; और अगर खर्च ही करना है तो जिम से अधिक जरूरी है स्वास्थ्य बीमा”…

5.    आप थक-हार सकते(ती) हैं और बुरी तरह से पस्त हो सकते(ती) हैं लेकिन आप इसके बाहर आ जायेंगे(गी)-    
यह पेशा काफी चुनौतीपूर्ण है। अपने खुद के फ्रीलांस व्यवसाय को पंजीकृत करने के साथ-साथ, विपणन (मार्केटिंग) करना, आयकर रिटर्न दाखिल करना, बीमा लेना, विलंबित हो गये भुगतानों के लिये प्रयास करना और हाँ....अपना वास्तविक काम  करना, इन सब को करने के तनाव के साथ यह तनाव कि आप अच्छा काम कर रहे(ही) है या नहीं...आप पर हावी भी हो सकता है।
ग्राहक आपके काम को नापसंद कर सकते हैं, आपको काम देने वाले नहीं मिल सकते हैं...और हाँ आपको भुगतान न मिलना भी आपको ही भुगतना पड़ेगा।
कभी-कभी आपको लग सकता है कि ..अमां कहां फंस गये...गुरु निकल लिया जाये...ये अपने बस का नहीं है।
क्या करें :
Ø अपने दिल के नज़दीक विषयों के आधार पर अपना बेहतरीन कौशल चुनिये। उन चीज़ों के बारे में लिखिये जो आपको प्रेरित करती हैं जिससे कि जब फांके का दौर चल रहा हो तो भी आप व्यस्त रहें और मस्त रहें। अपनी कला से प्रेम करिये। हमेशा ध्यान रखिये कि आपने बेहतर ज़िंदगी और बेहतर समय की तलाश में फ्रीलांसिग को चुना है।
Ø आत्मविश्वास कायम रखिये। हमें पता है कि ऐसा कहना आसान है लेकिन सुनहरा नियम यह है कि सफल फ्रीलांसर के लिये आत्मविश्वास से भरपूर होना पहला गुण है। सूझाव देने और त्रुटियों को सुधारने से झिझकिये मत। अच्छे ग्राहक हमेशा उनके पास आते हैं जिनको पता होता है कि वे क्या कर रहे(ही) हैं।
Ø कुछ ग्राहक आपको खराब प्रतिक्रिया देंगे और कुछ लोग आपका गुणगान करेंगे। अगर आप जानते(ती) हैं कि आपने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है लेकिन फिर भी ग्राहक आपको खराब प्रतिक्रिया दे रहा है तो ऐसे ग्राहक को जाने दीजिये। अनुभव से सीखिये और मुस्कुरा कर इससे उबर जाइये...याद रखिये आप सर्वश्रेष्ठ देकर भी सभी को संतुष्ट नहीं कर सकते(ती) हैं।
फ्रीलांसर होने के अपने लाभ और हानियां हैं, लेकिन विश्वास करिये, अंततः यह एक ऐसा बेहतरीन अनुभव है जो आपने कभी महसूस न किया होगा। आप रातों-रात सफल नहीं हो जायेंगे(गी)...लेकिन ईमानदार मेहनत का मीठा फल मिलना तय है।

फ्रीलांसिंग जैसे महत्वपूर्ण कौशल में स्थापित होने में समय लगता है।
एक बार जब आपके द्वारा निवेश किया गया समय और प्रतिभा का ईमानदार प्रयास के साथ मिलन होगा तो अंततः आपको एहसास होगा कि यह सारा प्रयास सार्थक है....