रविवार, 31 मार्च 2013

फ्रीलांसिंग से जुड़ीं कुछ महत्वपूर्ण बातें....


                                  
फ्रीलांसिंग से जुड़ीं कुछ महत्वपूर्ण बातें जिनको जानना हमारे लिये बेहद जरूरी है.....
                   

फ्रीलांसर होने का विचार बहुत से लोगों को आकर्षित करता है। जब आप अपने आसपास के लोगों को अपने इस पेशे के बारे में बताते(ती) हैं तो उनको एक ऐसा दृश्य दिखता है जिसमें आपके आसपास धन की नदी प्रवाहित हो रही होती है और आप अपने आरामदायक कपड़ों में ढ़ेर सारे ग्राहकों से घिरे(री) बैठे(ठी) दिखते(ती) हैं।
यह सही है कि फ्रीलांसर होने के अपने फायदे हैं। आप अपने काम के घंटे खुद निर्धारित कर सकते(ती) हैं, अपने घर से काम कर सकते(ती) हैं और अपनी रचनात्मकता के घोड़े दौड़ा सकते(ती) हैं।
लेकिन आपको तो फ्रीलांस करने के इन फायदों के बारे में पहले से ही जानकारी थी। यही तो वो कारण था जिसने आपको फ्रीलांसिंग में कूदने के लिये प्रेरित किया था।
और कमियों का क्या? क्या आपको उनकी जानकारी है?
मित्रों, अपने आपको कैरियर के इन झटकों से बचाइये और इससे पहले कि बहुत देर हो जाये इसे पढ़िये…….

1.    पहला महीना बेहद दर्दभरी यंत्रणा वाला होगा-
एक दिन सुबह आप सोकर उठते(ती) हैं और अचानक आपको भान होता है कि आपने अपनी नौकरी छोड़ दी है। आप यह सोच कर भय से भर जाते(ती) हैं कि क्या आप कमा पायेगें(गीं)?
आपको बड़ा असहज सा लगता है क्योंकि आपने अभी तक अपने काम करने के तरीके को कोई आकार नहीं दिया है। ये भी संभव है कि आप अपने काम छोड़ने के निर्णय को लानत मलामत भेजने लगें।
क्या करें :  
पहले मन को शांत करिये और एक कागज और कलम उठा लीजिये ताकि आप एक संभावित कार्यसूची बना सकें। निम्नलिखित चीज़ों के लिये निश्चित समय निर्धारित करिये:
Ø अपने ब्रांड/काम के बारे में चिंतन करने के लिये
Ø अपनी कंपनी/कौशल से संबंधित सामग्री का निर्माण कररने के लिये (वेबसाइट, अनुबंध और बिज़नेस कार्ड आदि)
Ø अपनी सेवाओं के विपणन (मार्केटिंग) के लिये
Ø कार्य संबंधी सभी औपचारिक व अनौपचारिक मामलों का व्यावहारिक विवरण तैयार करने के लिये
यह संभव है कि आप कभी-कभार इस कार्य-सूची को भूल जायें या सब गड्डमड्ड कर दें, लेकिन अपने जीवन में संगठित होने के लिये उठाये गये छोटे-छोटे कदम आपकी मानसिक शांति के लिये चमत्कार जैसे साबित हो सकते हैं।
2. जिस तरह से अच्छे ग्राहक मौजूद हैं ठीक उसी तरह बुरे भी और वे आपको इस्तेमाल करने का प्रयास भी करेंगे-
फ्रीलांसिग कोई आसान काम नहीं है और इसमें जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है, बुरे ग्राहक इसको और कठिन बना देते हैं। ये बुरे ग्राहक जानबूझ कर आपका लाभ उठाना चाहेंगे।
ऐसे ग्राहक हैं जो:
Ø पहले तो आपको अच्छा पारिश्रमिक देने का प्रस्ताव देंगे और परियोजना (प्रोजेक्ट) पूरा करने के बाद जब आप उसे उनको सौंप देंगे तो वो ऐसे गायब हो जायेंगे जैसे कि गधे के सिर से सींग।
Ø आपसे, पहले से सहमत परियोजना (प्रोजेक्ट) विवरण से बाहर जाकर काम करने की मांग करेंगे।
Ø आपसे अपने पारिश्रमिक की दर कम करने को कहेंगे।
Ø बिना भुगतान करे, किये गये काम को आपसे तीन-तीन बार संशोधित करने के लिये कहेंगे।
क्या करें :  
इसमें तीन कारक शामिल हैं, इसलिये....
Ø अपने ग्राहकों से वास्तविक संपर्क साधने में कुछ समय लगाइये। उनके साथ पेशेवर तरीके से संबंध बनाइये। जब उनकी जरूरत हो तो कुशल सुझाव दीजिये। उनको संदेश देते रहिये और उनकी परियोजना (प्रोजेक्ट) की प्रगति के बारे में सूचित करते रहिये।
Ø अपने और अपने ग्राहक के बीच एक अच्छे कानूनी अनुबंध के निर्माण में कुछ निवेश करिये। आपसी समझौते के अनुसार हर एक अनुबंध का अनुकूलन करिये। ध्यान रखिये कि इस अनुबंध की भाषा सरल और सहज हो जिससे कि आपका ग्राहक उसकी मूल भावना को समझ सके।
Ø इस अनुबंध में बिल करने और उसका भुगतान करने के लिये भी शर्तें शामिल करिये। खूब सारी मेहनत करके, पसीना बहाकर परियोजना (प्रोजेक्ट) को पूरा करने के बाद भुगतान की उम्मीद के उत्तर में ग्राहक से यह सुनना आपको बुरा लग सकता है कि भुगतान की तो कोई बात अनुबंध में थी ही नहीं...

Ø देर से भुगतान करने और असीमित मांग करने वाले कुख्यात ग्राहकों से  करना सीखिये।
   बेहतर यह होगा कि आप उस और कौशल को किसी और ग्राहक पर खर्च करें। 


3.   अगर दावत उड़ा रहे(ही) हैं तो फाँके भी पड़ेंगे। ऐसा कभी भी हो सकता है।
एक दिन आपके पास परियोजनाओं (प्रोजेक्ट) की इतनी भीड़ होगी कि आपके लिये खाने-पीने का समय निकालना भी कठिन हो जायेगा और ठीक अगले दिन आपके पास एक भी परियोजना (प्रोजेक्ट) न होगी। फ्रीलांसर की दुनिया अनिश्चितताओं से भरी है। दावत और फाँका कभी भी हो सकता है। कहा भी जाता है कि ग्राहक और मौत का कोई भरोसा नहीं है।  
क्या करें : 
बस यहीं पर अनुशासन सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। अगर आपको लगता है कि फ्रीलांसर होने का अर्थ केवल रचनात्मक काम करना और इस बात इंतज़ार करना है कि ग्राहक आप तक पहुंचे तो एक बार फिर से सोचिये...
फ्रीलांसर मूलतः उद्यमशील होते हैं। हम अपनी खुद की कंपनी चलाते हैं।
Ø  अपनी दैनिक कार्यसूची में विपणन (मार्केटिंग) और नेटवर्किंग के लिये समय निर्धारित करिये। सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से अपने ग्राहकों (या संभावित ग्राहकों) से जुड़िये, उनके साथ उनके कामकाज की चर्चा करिये और पेशेवर तरीके से मित्रवत रहिये (उनके समय और मूल शिष्टाचार का ध्यान रखते हुये)। तीन या पाँच लोगों के साथ शुरुआत करिये।
Ø  आप बस शुरु कर रहे(ही) हैं, उन साइटों पर जाकर बोली (बिडिंग) लगाइये, जिससे कि आपके पास कुछ ऐसी परियोजनायें (प्रोजेक्ट) हों जिनको आप अपने आत्म-परिचय (पोर्टफोलियो) में दर्शा सकें। कम से कम तीन परियोजनाओं (प्रोजेक्ट) पर रोज़ बोली (बिडिंग) लगाने का नियम बनाइये; और हाँ यह सब करते हुये, ध्यान रखिये कि खराब ग्राहकों से दूरी बनी रहे।
Ø  जब भी आपको आमदनी हो तो उसका दस प्रतिशत अपनी आकस्मिक निधि (इमरजेंसी फंड) के रूप में अलग रखिये, यह निधि फाँके के समय काम आयेगी। ऐसी आदत कतई मत डालिये कि आपके सामने जो भी परियोजना प्रस्ताव आये आप उसे स्वीकार करते(ती) जायें जिससे कि आप अपने खर्च पूरे करते(ती) रहें। ऐसा किया और आप खराब ग्राहकों के चंगुल में फंसे(सी)।


4.  अपने घर के दफ़्तर में हर रोज़, पूरे समय बैठे रहना आपको उबा देगा, अकेलेपन का  एहसास देगा और साथ ही बीमार भी कर देगा-

                                           

शुरु के कुछ महीनों में आपको फ्रीलांसिंग से प्रेम हो जायेगा। आपको देर से सोकर उठना, इत्मीनान के साथ नाश्ता करना और अपने आरामदायक कपड़ों में टहलना अच्छा लगेगा। आपको अपना वह काम करने में मज़ा आयेगा, जिससे आप प्रेम करते(ती) हैं और उन ग्राहकों से बात करने में आनंद आयेगा, जिनको आप पसंद करते(ती) हैं।
आप खुद को उड़ान भरती चिड़िया जैसा समझेंगे(गी)।
लेकिन अंततः एक खराब दोस्ती की तरह आपको एक पिंजरे में बंद चिड़िया जैसा एहसास होगा। ऐसा तब होगा जब आप फ्रीलांसिंग नाम के उड़नखटोले पर सावधानी के साथ सवारी नहीं करेंगे(गी)।
क्या करें :
Ø  अपने ऑफिस को विविधता प्रदान करिये। फ्रीलांसर होने का अर्थ है कि आपका अपना ऑफिस, चलता-फिरता भी हो सकता है। आप अपना लैपटॉप लेकर कहीं भी जा सकते(ती) हैं और कहीं से भी काम कर सकते(ती) हैं। आपको घर पर जमे रहने की कतई ज़रूरत नहीं है। जहाँ मर्जी हो वहाँ बैठ कर काम करिये...शांत कॉफी या चाय शॉप (अगर मिले) में बैठिये और कॉफी/चाय की चुस्कियों के साथ काम का आनंद लीजिये या फिर लाइब्रेरी और हरे भरे शांत पार्क में बैठ कर काम करिये।
Ø  घर से बाहर निकल कर थोड़ा मेलजोल बढ़ाइये। फ्रीलांसर के लिये यह महत्वपूर्ण है कि वह काम और मौज-मस्ती के बीच संतुलन कायम करे। इसका यह कतई मतलब नही है कि काम को गंभीरता से न लें...बात तो बस एक दिल खुश कर देने वाले संयोजन की है।
Ø  व्यायाम... इस शब्द के साथ आपके दिमाग़ में क्या दृश्य उभरा? आपको जिम के सपने आने लगे...लेकिन ऐसा कुछ नहीं है...पहले फ्रीलांसिंग करके कुछ अतिरिक्त कमाने लायक बनिये फिर खर्चे बढ़ाइये। एक काम सभी बखूबी कर सकते हैं और वो है...हल्का फुल्का नृत्य या जॉगिंग या फिर योग; और अगर खर्च ही करना है तो जिम से अधिक जरूरी है स्वास्थ्य बीमा”…

5.    आप थक-हार सकते(ती) हैं और बुरी तरह से पस्त हो सकते(ती) हैं लेकिन आप इसके बाहर आ जायेंगे(गी)-    
यह पेशा काफी चुनौतीपूर्ण है। अपने खुद के फ्रीलांस व्यवसाय को पंजीकृत करने के साथ-साथ, विपणन (मार्केटिंग) करना, आयकर रिटर्न दाखिल करना, बीमा लेना, विलंबित हो गये भुगतानों के लिये प्रयास करना और हाँ....अपना वास्तविक काम  करना, इन सब को करने के तनाव के साथ यह तनाव कि आप अच्छा काम कर रहे(ही) है या नहीं...आप पर हावी भी हो सकता है।
ग्राहक आपके काम को नापसंद कर सकते हैं, आपको काम देने वाले नहीं मिल सकते हैं...और हाँ आपको भुगतान न मिलना भी आपको ही भुगतना पड़ेगा।
कभी-कभी आपको लग सकता है कि ..अमां कहां फंस गये...गुरु निकल लिया जाये...ये अपने बस का नहीं है।
क्या करें :
Ø अपने दिल के नज़दीक विषयों के आधार पर अपना बेहतरीन कौशल चुनिये। उन चीज़ों के बारे में लिखिये जो आपको प्रेरित करती हैं जिससे कि जब फांके का दौर चल रहा हो तो भी आप व्यस्त रहें और मस्त रहें। अपनी कला से प्रेम करिये। हमेशा ध्यान रखिये कि आपने बेहतर ज़िंदगी और बेहतर समय की तलाश में फ्रीलांसिग को चुना है।
Ø आत्मविश्वास कायम रखिये। हमें पता है कि ऐसा कहना आसान है लेकिन सुनहरा नियम यह है कि सफल फ्रीलांसर के लिये आत्मविश्वास से भरपूर होना पहला गुण है। सूझाव देने और त्रुटियों को सुधारने से झिझकिये मत। अच्छे ग्राहक हमेशा उनके पास आते हैं जिनको पता होता है कि वे क्या कर रहे(ही) हैं।
Ø कुछ ग्राहक आपको खराब प्रतिक्रिया देंगे और कुछ लोग आपका गुणगान करेंगे। अगर आप जानते(ती) हैं कि आपने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है लेकिन फिर भी ग्राहक आपको खराब प्रतिक्रिया दे रहा है तो ऐसे ग्राहक को जाने दीजिये। अनुभव से सीखिये और मुस्कुरा कर इससे उबर जाइये...याद रखिये आप सर्वश्रेष्ठ देकर भी सभी को संतुष्ट नहीं कर सकते(ती) हैं।
फ्रीलांसर होने के अपने लाभ और हानियां हैं, लेकिन विश्वास करिये, अंततः यह एक ऐसा बेहतरीन अनुभव है जो आपने कभी महसूस न किया होगा। आप रातों-रात सफल नहीं हो जायेंगे(गी)...लेकिन ईमानदार मेहनत का मीठा फल मिलना तय है।

फ्रीलांसिंग जैसे महत्वपूर्ण कौशल में स्थापित होने में समय लगता है।
एक बार जब आपके द्वारा निवेश किया गया समय और प्रतिभा का ईमानदार प्रयास के साथ मिलन होगा तो अंततः आपको एहसास होगा कि यह सारा प्रयास सार्थक है.... 
  



11 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ... व्यवहारिक अति महत्वपूर्ण हर संभव आकलन ...
    बहुत बधाई

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  2. नीता जी...उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक धन्यवाद!

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  3. रोजगार की अनिश्चितता के इस दौर में रोजी-रोटी की लड़ाई में जूझ रहे युवाओं के लिये एक पठनीय लेख.

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  4. https://www.facebook.com/personalitycultivationproject isee uddeshy ke liye banaya gaya hai. us par jab bhi kabhi aap kuchh yuvaon ke liye upyogi likhen. to ya to mujhe message se ya is page par bhejne ka kasht karen. abhi maine is link ko vahaan bhi share kar liya hai aur apnee wall par bhi. abhar mitra. girijesh

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    1. गिरिजेश जी,
      आपका सुझाव शिरोधार्य है...आइंदा ऐसा ही करूंगा। अगले सप्ताह इस कड़ी का दूसरा लेख प्रस्तुत करने का प्रयास है। उसका लिंक आफके बताये गये लिंक पर अवश्य पोस्ट करुंगा। आप लोगों के उत्साहवर्धन से मुझे शक्ति और संबल मिला है।
      धन्यवाद!

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  5. फेसबुक से यहाँ आया... आपका आलेख अत्‍यंत सुलझा हुआ है। आशा है आपके अनुभवजन्‍य आलेख का लाभ अनेक मौजूदा / भावी फ्रीलांसरों को मार्गदर्शन देता रहेगा...

    - आनंद

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    1. आनंद जी,
      आपकी सकारात्मक टिप्पणी के लिये, हार्दिक धन्यवाद!

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  6. भाई सुमंत..हार्दिक धन्यवाद!

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